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Ge 9 Matrix

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Submitted By bkumar
Words 2649
Pages 11
इपीएफ और इपीएस से जुड़ी सभी जिज्ञासाओं के जवाब
एक नजर में नियोक्ता से कर्मचारी के बराबर ही अंशदान देने की उम्मीद की जाती है. लेकिन ऐसा करने के लिए वे कानूनन बाध्य नहीं हैं. सिर्फ सुनिश्चित आयवाली सरकारी प्रतिभूतियों में आपका पैसा लगाया जाता है. इक्विटी (शेयरों) में निवेश की अनुमति नहीं है. ब्याज दर हर साल केंद्र सरकार की सिफारिश के मुताबिक घोषित की जाती है. इसमें इपीएफओ के ट्रस्टियों के बोर्ड से सलाह ली जाती है.
धारा 80सी के तहत एक लाख रुपये तक के अंशदान को करयोग्य आय से घटाया जा सकता है. नियोक्ता का अंशदान भी करमुक्त होता है. इपीएफ के अंशदाता निश्चित मकसदों के लिए एक बार या समय-समय पर निकासी कर सकते हैं. इसके लिए शर्तो को पूरा करना जरूरी.
इपीएफ में अंशदान पर आपको जो भी कर छूट मिली हुई है, पांच साल से पूर्व पैसा निकालने पर वह सब वापस करनी होगी. इपीएफओ की वेबसाइट से बैलेंस पता कर सकते हैं. इ-पासबुक भी डाउनलोड कर सकते हैं. क्या है इपीएफ? क्या है इपीएस? इपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952) और इपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना 1955) सेवानिवृत्ति के लिए दो अलग-अलग बचत योजनाएं हैं. जो ‘कर्मचारी भविष्य निधि और विभिन्न प्रावधान अधिनियम, 1952’ के तहत आती हैं. ये वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए हैं (यहां बता दें कि सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारी ‘भविष्य निधि अधिनियम, 1925’ के तहत आते हैं). क्या सभी कर्मचारियों के लिए इपीएफ और इपीएस में अंशदान करना बाध्यकारी है?
हां, यह बाध्यकारी है. हालांकि, जिन कर्मचारियों का मूल वेतन 6500 रुपये से ज्यादा है, उनके पास इस योजना से बाहर रहने का विकल्प है.

इपीएफ और इपीएस में कुल कितना अंशदान दिया जाता है?
आम तौर पर, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों मूल वेतन (जोड़ महंगाई भत्ता, अगर है) का 12 फीसदी अंशदान करते हैं. कर्मचारी का पूरा अंशदान इपीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता के अंशदान के 12 फीसदी में से 8.33 फीसदी इपीएस में जाता है और बाकी का 3.67 फीसदी इपीएफ में जाता है. केंद्र सरकार इपीएस में 1.16 फीसदी बतौर सब्सिडी अंशदान देती है. इस तरह इपीएस में जानेवाला कुल अंशदान मूल वेतन का 9.49 फीसदी हो जाता है. लेकिन, अगर आपका मूल वेतन 6500 रुपये से ज्यादा है, तो इपीएस में अंशदान 6500 रुपये के 8.33 फीसदी तक ही सीमित रहेगा, जो 541 रुपये बनता है. नियोक्ता के अंशदान का बाकी हिस्सा इपीएफ में जाता है.
क्या मैं इपीएफ में वैधानिक सीमा से ज्यादा अंशदान कर सकता हूं?
हां, आप स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) जमा करके भविष्य निधि में अतिरिक्त राशि (12 फीसदी के अतिरिक्त) का अंशदान कर सकते हैं. हालांकि, नियोक्ता इसके अनुरूप अंशदान करने के लिए बाध्य नहीं है.
इपीएफ और इपीएस पर लागू ब्याज दरें क्या हैं?
इपीएफ पर हर साल ब्याज दर सरकार तय करती है. वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए यह 8.5 फीसदी है. इससे पूर्व यह 8.25 फीसदी थी. वहीं, इपीएस के पेंशन योजना होने के नाते उस पर ब्याज नहीं मिलता.
इपीएफ और इपीएस पर लागू ब्याज दरें क्या हैं?
नियोक्ता का अंशदान करमुक्त होता है. वहीं आपका अंशदान करयोग्य होता है, लेकिन उसे आयकर कानून की धारा 80सी के तहत लाभ मिलता है. यानी, आपके अंशदान की रकम आपकी आय में से घटाने के योग्य होती है.
क्या परिपक्वता से पहले निकासी संभव है?
हां, इपीएफ में शादी, गंभीर बीमारी, उच्च शिक्षा, घर खरीदने या बनाने आदि के लिए आंशिक निकासी की जा सकती है.
क्या इपीएफ खाते में बैलेंस ऑनलाइन जाना जा सकता है?
जी हां, आप इपीएफओ की वेबसाइट पर जाकर बैलेंस जान सकते हैं. खुद को मेंबर पोर्टल पर पंजीकृत कर अपनी पासबुक भी डाउनलोड कर सकते हैं. इसके अलावा क्लेम स्टैटस भी ऑनलाइन जाना जा सकता है.
कर्मचारी को पेंशन कब मिलनी शुरू होती है?
कर्मचारी को इपीएस के तहत कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद ही पेंशन मिल सकती है, 50 या 58 साल का होने पर. 50 साल से पूर्व किसी पेंशन का भुगतान नहीं किया जाता है. 50 साल की उम्र के बाद पेंशन ली जा सकती है, लेकिन 58 की उम्र से पहले, 58 का होने में जितने साल बाकी हैं, उनके लिए हर साल चार फीसदी की दर से कटौती लागू की जायेगी. मृत्य या विकलांगता की स्थिति में ऊपर बतायी गयीं पाबंदियां लागू नहीं होंगी.
पेंशन कितने समय तक मिलेगी?
पेंशन जिंदगीभर के लिए होती है. सदस्य की मृत्यु के बाद उसके परिवार के लोग पेंशन के हकदार होंगे.
मासिक पेंशन की गणना का सूत्र क्या है?
इपीएस के तहत, मासिक पेंशन ‘पेंशनयोग्य सेवा’ और ‘पेंशनयोग्य वेतन’ के आधार पर तय की जाती है. इसका सूत्र इस प्रकार है :
मासिक पेंशन = (पेंशनयोग्य वेतन गुणा पेंशनयोग्य सेवा)/70
पेंशनयोग्य वेतन : इस योजना से निकलने के ठीक 12 माह पहले किया जानेवाला औसत अंशदान वेतन पेंशनयोग्य वेतन कहलाता है. अमूमन यह 6500 रुपये प्रतिमाह तक सीमित होता है, जब तक कि अनुमति लेकर नियोक्ता द्वारा सुनिश्चित अतिरिक्त
अंशदान न किया जाये.
पेंशनयोग्य सेवा : यह सदस्य द्वारा दी गयी सेवा की अवधि है, जिस दौरान अंशदान किया गया है. यह 35 साल से ज्यादा नहीं हो सकती.
इपीएस के तहत अधिकतम कितनी पेंशन मिल सकती है?
35 साल की अधिकतम सेवा अवधि पर गणना की जाये, तो पेंशन के मौजूदा फारमूले के मुताबिक अधिकतम पेंशन प्रतिमाह 3250 रुपये होगी.
क्या पेंशन को पूर्ण या आंशिक रूप से एकमुश्त नकद में बदला (कम्यूशन) जा सकता है?
पहले एक तिहाई मासिक पेंशन को एकमुश्त नकद में बदला जा सकता था. यह मूल मासिक पेंशन के 100 गुना के बराबर होती थी. लेकिन, 26 सितंबर 2008 से लागू संशोधन के बाद इस पर रोक लगा दी गयी है.
क्या इपीएफ और विविध प्रावधान अधिनियम के तहत कोई अन्य लाभ भी है?
हां, पीएफ अधिनियम के तहत इंप्लायीज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (इडीएलआइ) योजना भी है जो पीएफ सदस्यों को जीवन बीमा कवर उपलब्ध कराती है. इसका खर्च नियोक्ता द्वारा वहन किया जाता है, लेकिन इस वैधानिक योजना के तहत बीमा राशि बहुत कम होती है. अधिकतम बीमा राशि महज 60 हजार रुपये है. इसलिए बहुत से नियोक्ता दूसरी समूह बीमा योजना लेकर इडीएलआइ से बाहर रहने का विकल्प चुनते हैं.
क्या नौकरी बदलते समय इपीएफ खाते को ट्रांसफर आवश्यक है? नौकरी बदलने पर इपीएस का क्या होता है? क्या कोई पूरी राशि की निकासी कर सकता है?
हां, नौकरी बदलते समय इपीएफ खाते को ट्रांसफर कराना कानूनन जरूरी है. लेकिन बहुत से लोग खाता ट्रांसफर कराने के बजाय पैसा निकाल लेते हैं. इपीएस के मामले में, अगर आपकी सेवा अवधि 10 साल से कम है, तो आपके सामने अपना पैसा निकाल लेने या फिर ‘स्कीम सर्टिफिकेट’ हासिल कर उसे ट्रांसफर कराने का विकल्प है. लेकिन अगर सेवा अवधि को 10 साल पूरे हो गये हैं, तो निकासी का विकल्प खत्म हो जाता है.
नौकरी बदलने के समय इपीएफ का पैसा निकालने पर टैक्स सबंधी प्रावधान क्या हैं?
अगर आप 5 साल से पूर्व पीएफ से निकासी करते हैं, तो इस पर 80 सी/88 के तहत मिले लाभ वापस करने होंगे
जब आप किसी कर्मचारी से कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के बारे में पूछेंगे तो उसका सीधा साधा जवाब यही होगा कि यह उनके वेतन का हिस्सा है और इसे हर महीने काटा जाता है। जहां कर्मचारी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी हिस्सा ईपीएफ के लिए देते हैं वहीं उनकी नियोक्ता कंपनी प्रत्येक महीने समान मात्रा में रकम उनके पीएफ खाते में जमा कराती है। लेकिन ऐसा नहीं है। संबंधित खबरें | | | | | | सेवानिवृत्ति कोष न चढ़े दूसरे लक्ष्यों की भेंट | | |
ईपीएफ को लेकर कई अहम पहलू हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। उदाहरण के लिए, ईपीएफ से दो तत्व जुड़े हुए हैं- ईपीएफ और कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस)। कर्मचारी का 12 फीसदी योगदान ईपीएफ के लिए जाता है। हालांकि नियोक्ता का योगदान 8.33 फीसदी में विभाजित है जो ईपीएस में जाता है और यह अधिकतम 541 रुपये प्रति महीने है। बाकी योगदान ईपीएफ खाते में जाता है।
हालांकि कर्मचारी नौकरी के 10 वर्ष पूरे करने के बाद 58 वर्ष की उम्र पूरी करने पर ही पेंशन हासिल करने का हकदार है। या फिर उसने 20 वर्षों तक योगदान दिया हो। किसी भी स्थिति में पेंशन योग्य सेवा या योगदान के वर्षों की संख्या दो वर्ष तक अधिक है। जाने-माने वित्तीय योजनाकार पंकज मठपाल कहते हैं, 'उदाहरण के लिए, जब आपने 58 वर्ष की उम्र पूरी कर ली हो और नौकरी में 25 वर्षों का योगदान दिया हो तो पेंशन योग्य
सेवा 27 वर्ष की होगी। या यदि 20 वर्षों तक योगदान किया हो तो इसे 27 वर्षों के रूप में माना जाएगा।Ó
सभी के लिए अनिवार्य नहीं
यदि आप 6500 रुपये प्रति महीने कमाते हैं तो आप हमेशा ईपीएफ में योगदान से बाहर रहने का विकल्प चुन सकते हैं। दुर्भाग्यवश आपको अपने करियर के शुरू में इससे अलग रहने की जरूरत है। यदि आप ईपीएफ का हिस्सा होते हैं तो भी आपको इसमें योगदान देना अनिवार्य नहीं है। इसलिए नौकरी शुरू करने वाले नए कर्मचारी (जिनके पास ईपीएफ खाता संख्या नहीं है) अपने नियोक्ता से ईपीएफ योगदान का हिस्सा नहीं बनने को कह सकते हैं।
हालांकि इससे आपको हर महीने मिलने वाले वेतन में इजाफा हो जाएगा, लेकिन वित्तीय योजनाकार इस विकल्प को अपनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि ईपीएफ सेवानिवृति रकम के संचयन का आसान तरीका है जिस पर 2012-13 के लिए 8.5 फीसदी की शानदार ब्याज आय की पेशकश की गई।

पूरी रकम नहीं निकाल सकती
सेवा के लगातार पांच वर्ष के बाद भी पूरी ईपीएफ रकम निकालना संभव नहीं है। इसकी वजह यह है कि 9 वर्ष तक सेवा के लिए ईपीएस के लिए अलग नियम हैं। ईपीएस की टेबल डी से संकेत मिलता है कि कर्मचारी को कितनी रकम मिल सकती है। वैसे यह उसकी सेवा के वर्षों की सं?या पर निर्भर करता है, जब वह नौकरी छोड़ता है। प्रत्येक संपूर्ण वर्ष के लिए अलग स्लैब है जो अधिकतम 6500 रुपये प्रति महीने है।
आपके ईपीएफ खाते में कुल मासिक योगदान पर प्रति वर्ष चक्रवृद्घि ब्याज नहीं मिलेगा। चक्रवृद्घि ब्याज सिर्फ ईपीएफ के अंश पर ही चुकाया जाता है। रैंडस्टैड इंडिया में प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ई बालाजी कहते हैं कि ईपीएस अंश पर कोई ब्याज नहीं मिलता है।

नौकरी बदलते समय न निकालें ईपीएफ
ईपीएफ मानकों के अनुसार नौकरी बदलते समय ईपीएफ से रकम निकालना गैर-कानूनी है। आप यह रकम तभी निकाल सकते हैं जब आप किसी और कंपनी में नौकरी करने नहीं जा रहे हों और नौकरी छोड़े हुए आपको दो महीने बीत गए हों। आप नई नौकरी मिलने के बाद इस रकम को स्थानांतरित करा सकते हैं। मठपाल कहते हैं, 'यह रकम निकालने के प्रयास में कई लोग अपने पुराने नियोक्ता को यह बताते हैं कि वे दो महीने से बेरोजगार हैं, लेकिन वे नई नौकरी पर होते हैं।Ó

विशेष स्थिति में निकलेगी रकम
हालांकि यदि आपने पांच साल तक नौकरी नहीं की हो तो आप ईपीएफ नहीं निकाल सकते, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में आप इसे निकाल सकते हैं। भले ही यह निकासी आंशिक हो सकती है। उदाहरण के लिए, आप शादी या स्वयं या फिर बच्चों की शिक्षा के लिए ईपीएफ से रकम निकाल सकते हैं। यदि आपने सेवा के कम से कम 7 वर्ष पूरे कर लिए हैं तो आपके योगदान का 50 प्रतिशत हिस्सा निकाला जा सकता है। इसी तरह स्वयं या परिवार (पत्नी, बच्चे, आश्रित माता-पिता) के लिए चिकित्सा उपचार के लिए आप अपने वेतन का अधिकतम 6 गुना हिस्सा निकाल सकते हैं।
आप अपने द्वारा या अपनी पत्नी या फिर दोनों के द्वारा सामूहिक रूप से खरीदे गए घर पर लिए गए ऋण के भुगतान के मकसद से भी इस रकम को निकाल सकते हैं। हालांकि इसके लिए आपको सेवा के कम से कम 10 वर्ष पूरे करने की जरूरत होगी। तब आप अपने वेतन का 36 गुना हिस्सा निकाल सकते हैं। इस निकासी की अनुमति आपके या आपकी पत्नी के स्वामित्व वाले मौजूदा घर की मरम्मत/कायाकल्प के लिए दी जाती है। इसके लिए आपको घर के कायाकल्प के संदर्भ में मकान के निर्माण/खरीद के बाद न्यूनतम पांच वर्ष की नौकरी पूरी की हो और मरम्मत के लिए 10 वर्षों तक। आप अपने वेतन का 12 गुना तक निकाल सकते हैं, लेकिन आप ऐसा सिर्फ एक बार कर सकते हैं।
हालांकि तब तक इस रकम को न निकालें जब तक कि आपको कोई बड़ी जरूरत न हो।

स्वैच्छिक योगदान की इजाजत
आप ईपीएफ में अपनी मर्जी से अपने मूल वेतन के 12 फीसदी से अधिक का भी निवेश कर सकते हैं। कर्मचारी की तरफ से यह अतिरिक्त रकम ईपीएफ खाते में जाएगी और इस पर उसे ब्याज हासिल होगा। नियोक्ता अतिरिक्त योगदान के समान रकम जमा करने के लिए बाध्य नहीं है। यह लगातार कर्मचारी के मूल वेतन के अधिकतम 12 फीसदी तक निवेश बरकरार रखेगा।
जीवन बीमा
यदि आपका नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिए समूह जीवन बीमा कवर मुहैया नहीं कराता है तो ईपीएफ छोटे कवर (अधिकतम 60,000 रुपये) के साथ कर्मचारियों को यह कवर प्रदान करता है। यह पेशकश इम्पलॉयीज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम से जुड़ी है और ऐसे नियोक्ताओं को आपके मासिक मूल वेतन के 0.5 फीसदी का
योगदान करना होता है जो 6500 रुपये
पर सीमित है। खासकर छोटे आकार के उद्योगों के कर्मचारियों को यह कवर प्रदान किया जाता है।

Koi deewana kehta hain koi pagal samjhta hain magar dharti ki bechani ko bas badal samjhta hain
Main tujhse dur kaisa hu,tu mujhse dur kaisi hain
Yeh tera dil samjhta hain ya mera dil samjhta hain

Ke mohobbat ek ehsaason ki paawan si kahaani hain kabhi kabira deewana tha kabhi meera diwaani hain
Yahaan sab log kehte hain meri aakho mein aasu hain
Jo tu samjhe toh moti hain jo na samjhe toh paani hain

Mat poooch ki kya haal hai mera tere aage
Tu dekh ke kya rang hain tera mere aage

Samandar peer ka andar hain lekin ro nahi sakta
Yeh aasu pyaar ka moti hain isko kho nahi sakta
Meri chahat ko dulhan tu bana lena magar sun le
Jo mera ho nahi paaya woh tera ho nahi sakta

Bhramar koi kumudni par machal baitha toh hungama
Humare dil mein koi khwaab pal baitha toh hungama
Abhi tak doob kar sunte the sab kissa mohobbat ka
Main kisse ko hakikat mein badal baitha toh hungama

Koi deewana kehta hain koi pagal samjhta hai magar dharti ki bechaini ko bas badal samjhta hai
Main tujhse dur kaisa hu,tu mujhse dur kaisi hai
Yeh tera dil samjhta hai ya mera dil samjhta hai

mohobbat ek ehsason ki paawan si kahaani hai kabhi kabira deewana tha kabhi meera diwaani hai
Yahaan sab log kehte hain meri aakho mein aansu hai
Jo tu samjhe toh moti hain jo na samjhe to paani hai

Bahut bikhra bahut toota thapede seh nahi paaya
Hawaaon ke ishaaron par magar main beh nahi paaya
Adhoora ansuna hi reh gaya youn pyaar ka kissa
Kabhi tum sun nahi paaye, kabhi main keh nahin paaya

Bhramar koi kumudni par machal baitha toh hungama
Humare dil mein koi khwaab pal baitha toh hungama
Abhi tak doob kar sunte the sab kissa mohobbat ka
Main kisse ko hakikat mein badal baitha toh hungama

Main uska hun wo is ehsaas se inkaar karta hai
Bhari mehfil mein bhi ruswaa har baar karta hai yaki hai saari duniya ko khafa hai humse woh lekin
Mujhe maaloom hai phir bhi mujhi se pyaar karta hai

Main jab bhi tez chalta hoon nazaare choot jate hain
Koi jab roop gadhta hoon to saanche toot jate hain
Main rota hoon to aakar log kandha thap thapate hain
Main hasta hoon to mujhse log aksar rooth jate hain

Mat poooch ki kya haal hai mera tere aage
Tu dekh ke kya rang hain tera mere aage

Samandar peer ka andar hain lekin ro nahi sakta
Yeh aasu pyaar ka moti hain isko kho nahi sakta
Meri chahat ko dulhan tu bana lena magar sun le
Jo mera ho nahi paaya woh tera ho nahi sakta
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Stategic Management

...Universiti Kebangsaan Malaysia Graduate School of Business COURSE NAME: STRATEGY AND COMPETITIVENSS (SEMESTER 2014/2015) COURSE CODE: ZCZB6523 (SET 5) CREDIT: 3 HOURS TRIMESTER: 7th FEB 2015 The course starts on 7th February 2015. The first class will be a full lecture session. The subsequent classes will require groups (of two students) to make their respective presentations on their selected company. Most classes are on Saturdays from 8.30 -11.30 am 1.0 COURSE OBJECTIVES and LEARNING OUCOMES: This course focuses on some of the important elements of strategic management. It will concentrate on strategy development and competitive advantage. It is consciously designed to highlight the significant emerging trends in strategic management. The course provides students with a practical approach to the formulation and implementation of corporate, business, and functional strategies. The course is also meant to give graduate students the skill to derive strategies rationally for the organizations that they are currently working for or have chosen for their analysis. There are no strategic decisions that are perfect under the current turbulent business environment. Therefore, a rational approach to strategic decision-making is deemed most appropriate. However, the strategy developed may not survive in its original form upon execution. Accordingly, these strategies have to be adjusted to meet the current challenges. Emergent strategies that were unplanned...

Words: 4764 - Pages: 20

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Solution for Ongc Case Study on Strategy Management

...Strategy management * Prof. Sunil Sharma Date: April 9, 2014 Value chain of business * It’s a decision of an organization that how much of value chain it wants to occupy. * An organization may go for backward, forward or vertical integration in value chain * An organization may decide to go from one value chain to other value chain * From economists’ point of view in a competitive market, there will be atleast 3-4 competitors of equal caliber and market share would not be more than 35% for a given company. In theory there has to be numerous competitors for a perfectly competitive market. Case: ONGC India – In search of new growth strategy ONGC has gone for vertical integration during Mr. Raha’s tenure. Mr. Sharma has to decide whether to continue with the same or differ. Pros: 1. The bullish market earned lot of fortune. The earned money can be easily invested into diversification and hence multiplicate from this investment in future. 2. If they see investments in renewable sources of energy, ONGC can also start to be looked upon as green company. 3. When Mr. Subir Raha took over the workforce was highly de-motivated, and all the cash that had been earned would be given back to government in form of dividends. Mckinskey had projected that ONGC would go sick if it continues to operate the way it operates now. Mr. Raha saw an opportunity in the additional cash of Rs. 18,400 was seen as opportunity to create new business & new challenges...

Words: 1040 - Pages: 5

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Portfolio Models & Abc Cheese Factory

...Jovie Alvarez ID No. 3109617 Diploma of Marketing (BSB51207) Competencies:   BSBMKG514A – Implement and Monitor Marketing Activities BSBMKG515A – Conduct a Marketing Audit Case Study 1:   Chapter 3 – Portfolio Models (review questions 1-3, page 64) The ABC Cheese Factory – Case Questions (page 65) BSBMKG514A – Implement and Monitor Marketing Activities BSBMKG515A – Conduct a Marketing Audit 1 Jovie Alvarez ID No. 3109617 Chapter 3 – Portfolio Models (review questions 1-3, page 64) 1. What is a portfolio model and how is it used? Is a visual tool for diverse companies to review: – – – all businesses together; where growth is expected (resources needed); and returns generated (cash produced). It provides the decision maker with a starting point for decisions regarding: – – – strategic business units (SBU) retention or deletion general strategic direction (growth, maintenance, deletion) for each SBU resource allocation/redistribution decisions. 2. Using the BCG model: a. Draw and label all parts of the model HIGH 20% STARS QUESTION MARKS MARKET GROWTH (position in the product category life cyle) MED. 10% CASH COWS LOW 0% 10X 1.0X DOGS 0.1X RELATIVE MARKET SHARE (SBU’s market share compared to the largest competitor in the same market) BSBMKG514A – Implement and Monitor Marketing Activities BSBMKG515A – Conduct a Marketing Audit 2 Jovie Alvarez ID No. 3109617 b. Explain each quadrant...

Words: 1636 - Pages: 7

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Capital Budgeting

...Google’s main brands in a GE Matrix University of Lincoln Author: Submission date: Subject: Words: Max Adler 11th January 2010 International Marketing Strategies / MKT 3084 3018 Table of contents List of figures 1 Introduction 2 Google’s major brands 2.1 Search engine 2.2 YouTube 2.3 Chrome Browser 2.4 Maps, Earth and Street View 2.5 AdWords and AdSense 2.6 Other Google brands 3 Portfolio analysis via matrices in the 21st century 3.1 Why portfolio analysis? 3.2 Portfolio analysis and Google 3.3 Companies like Google 4 Conclusion Reference List II 1 2 2 3 4 5 5 6 7 7 8 10 11 III I List of figures Figure 1: McKinsey / General Electric Matrix Figure 2: Google’s brands in a GE Matrix 2 7 II 1 Introduction According to the list FT Global 500 from the Financial Times, Google is worldwide on position 39 from the companies listed in the stock exchange (Financial Times, 2009). Google was founded in 1998 by the software engineers Larry Page and Sergei Brin. Nowadays, only 12 years later, it has grown to one of the greatest international companies which has a huge influence on the daily life in industrial nations. Furthermore with 66 billion US-Dollars Google is the most valuable brand in the world. They started with a search engine which has pushed the former competition like AltaVista out of business. Google Inc. had in 2008 a turnover of almost 22 billion US-Dollars and it is still growing (Google, 2010). At the beginning they had a positive press...

Words: 3842 - Pages: 16

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Resource

...Q1. What is resource based view of a firm? Ans. The resource-based view (RBV) is a way of viewing the firm and in turn of approaching strategy. Fundamentally, this theory formulates the firm to be a bundle of resources. It is these resources and the way that they are combined, which make firms different from one another. It is considered as taking an inside-out approach while analyzing the firm. This means that the starting point of the analysis is the internal environment of the organization. Resources of the firm can include all assets, capabilities, organizational processes, firm attributes, information and knowledge. In short resources can be considered as inputs that facilitate the organization to perform its activities. An organization’s resource should have four attributes to provide the potential for competitive advantage. These form the VRIN characteristics. Valuable - When resources are able to bring value to the firm they can be a source of competitive advantage. Rare - Resources have to deliver a unique strategy to provide a competitive advantage to the firm as compared to the competing firms. Consider the case where a resource is valuable but it exists in the competitor firms as well. Such a resource is not rare to provide competitive advantage Inimitable - Resources can be sources of sustained competitive advantage if competing firms cannot obtain them. Consider the case where a resource is valuable and rare but the competing organizations can copy them easily...

Words: 712 - Pages: 3

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Management

...in hoc signo vinces = in this sign you will conquer vitam impendere vero=to devote one’s life to truth maximus in minimis=the very greatest in trifling things best hr in hospitality sector Job Number | 1529565 | Business | GE Healthcare | Business Segment | Healthcare Eastern & African Growth Markets | About Us | What do you envision for your future? At GE Healthcare, we strive to see life more clearly. Our "healthymagination" vision for the future invites the world to join us on our journey as we continuously develop innovations focused on reducing healthcare costs, increasing access and improving quality and efficiency around the world. We are a $17 billion unit of General Electric Company (NYSE: GE), employing more than 46,000 people worldwide and serving healthcare professionals in more than 100 countries. We believe in our strategy - and we'd like you to be a part of it. As a global leader, GE can bring together the best in science, technology, business and people to help solve one of the world's toughest challenges and shape a new age of healthcare. Something remarkable happens when you bring together people who are committed to making a difference - they do! At work for a healthier world. | Posted Position Title | HR Director, Turkey and Central Asia (TCA) | Career Level | Experienced | Function | Human Resources | Function Segment | HR Client Support | Location | Turkey | City | Istanbul | Relocation Assistance | No | Role...

Words: 704 - Pages: 3

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Portfolio of Basundhara Group

...Introduction to corporate portfolio analysis Bashundhara Group is one of the leading corporate giant in the business world. It has started operation “For the People, for the country” as a real estate venture known as “Bashundhara” under the aegis of the Group’s first concern – the East West Property Development (Pvt) Ltd in 1987. This project turned out to be a very successful one and had helped foster the growth of trust and confidence of the urban people in “Bashundhara”. More enterprises were established in the early 1990s, the group experienced this tremendous growth in a span of less than 10 years. The Group now has over 20 major concerns located in different areas of the country. The multi-faceted shopping mall and recreation centre called the Bashundhara City has added glamour to the growth of the group. The Bashundhara City Development Ltd is one step ahead in the longstanding effort to strengthen links with the general people through the unique offering of commercial operations and recreation facilities under single roof. Company summary Bashundhara Group is one of the most prestigious and experienced commercial and industrial conglomerates in Bangladesh. The Group took off from the incipient period after establishment of East West Property Development (Pvt.) Ltd. a real estate concern, which is known as “Bashundhara”. Since inception, Bashundhara Group has been actively contributing to the national as well as global economy by way of effective utilization...

Words: 3517 - Pages: 15

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Genpact

...revenues of $2.1 billion (2013)[1] with more than 65,000 employees (2014) serving clients from 25 countries. Its current clients include more than 100 of the Fortune Global 500. N. V. Tyagarajan,[2] president and CEO of Genpact, has led the company since his appointment in June 2011.[3] Genpact was established in 1997 as a business unit within General Electric. In January 2005, it became an independent company and in August 2007 a publicly traded company (NYSE: G).[4] Contents [hide] 1 Locations 2 History 3 Select Awards and Recognition 4 Executive leadership 5 References 6 External links Locations Genpact has 73 delivery centers and a presence in 25 countries worldwide. History Genpact began in 1997 as a business unit within GE. Its charter was to provide business process services to GE's businesses, with the goal of enabling outstanding efficiencies. During the eight years that followed, Genpact began to manage a wide range of processes across GE's financial services and manufacturing businesses. In January 2005, Genpact became an independent company and began to serve...

Words: 1323 - Pages: 6